अगर आप देश के सर्वोच्च नागरिक हैं तो आप भारत रत्न से नवाज़े जाएंगे। बेहतरीन खिलाड़ी होंगे तो राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार आपसे कोई नहीं छीन सकेगा। वहीं, अगर आप अभिनय के उस्ताद हैं तो फिल्मफेयर और राष्ट्रीय अवॉर्ड आपका इंतज़ार कर रहे हैं। ऐसे ही विभिन्न विभागों के लिए विभिन्न पुरस्कार हैं। अब बात करते हैं ऐसे अवॉर्ड्स के बारे में जिसके बारे में विश्व धीरे-धीरे जान रहा है। यह और कोई नहीं बल्कि तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स हैं। ऐसे अवॉर्ड्स जो भारत की तमाम जेलों में बंद बंदियों और जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिए जाते हैं। जी हां, आपने सही पढ़ा यह अवॉर्ड्स विशेष तौर पर जेल के इर्द-गिर्द ही घूमते हैं। इस अनोखे पुरस्कार की परिकल्पना देश की जानी मानी जेल सुधारक डॉ. वर्तिका नन्दा ने की है। अब यह अवॉर्ड्स अपने छठे वर्ष में प्रवेश कर गया और इस वर्ष इसकी थीम ‘कोरोना के दौर में जेल’ है। पिछले वर्ष की थीम ‘जेल में रेडियो थी‘। इन अवॉर्ड्स को 3 वर्गों में बांटा गया है।
1) पेंटिंग
2) विशेष प्रतिभा (बंदी जिन्होंने जेल जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है)
3) प्रशासनिक पुरस्कार (जेल अधिकारियों/जेल कर्मचारियों के लिए जो कैदियों के जीवन में जेल सुधार के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाने में अपने कर्तव्यों से आगे बढ़े हैं)
अवॉर्ड्स के बारे में डॉ. नन्दा कहती हैं, “तिनका तिनका फाउंडेशन बंदियों और जेल प्रशासकों के लिए इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल करता है। इनका लक्ष्य कारागारवासियों को अपनी रचनात्मकता को निखारने और जेल सुधार के लिए प्रोत्साहित करना है। “
आंकड़ो के अनुसार, भारत की 1400 जेलों में बंद लाखों बंदियों में से अब तक 77 प्रतियोगियों ने पिछले 6 वर्षों तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स को जीता है। इनमें महिलाएं और ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं। वक़्त के साथ-साथ आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा निश्चित रूप से विशाल होता जाएगा। इस वर्ष पेंटिंग की श्रेणी में 7 बंदियों को पुरस्कार दिया गया है। जेल में विशेष काम के लिए 6 बंदियों और जेल में विशेष सेवा के लिए 4 जेलकर्मियों को सम्मानित किया गया है।
इस बार की निर्णायक मण्डली में श्री अजय कश्यप (आईपीएस), पूर्व महानिदेशक दिल्ली जेल, श्री ओ.पी. सिंह (आईपीएस) पूर्व महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस और डॉ. वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका तिनका शामिल रहीं। मानावधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर इन पुरस्कारों को श्री के सेल्वाराज, हरियाणा जेल पुलिस महानिदेशक और श्री अजय कश्यप, पूर्व पुलिस महानिदेशक, दिल्ली जेल और डॉ. वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका तिनका ने रिलीज किया। देश में ऐसा पहली बार हुआ जब पूरे देश में अलग-अलग जेलों से अधिकारी और बंदी लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जुड़े और इस दौरान उन्होंने अपनी बात कहने का मौका मिला।
मुझे निजी तौर पर लगता है कि मैं और मेरे जैसे तमाम लोग हफ्ते या महीने में एक बार तो ज़रूर सोचते हैं कि हमें देश के लिए या समाज सुधार के लिए कुछ करना चाहिए। दुखद, अधिकांश लोग यह सोच कर ही रह जाते हैं। लेकिन डॉ. वर्तिका नन्दा जैसे ही कुछ लोग होते हैं, जो इस सोच को दिन-रात मेहनत करने के बाद धरातल पर उतारते हैं, वो भी सफलता के साथ। मैं जब भी इन अवॉर्ड्स के बारे में पढ़ता हूँ या सुनता हूँ तब हर बार ही मुझे हैरानी भरी कहानियां सुनने को मिलती हैं। जेलों में बंद बंदियों के पास भी हुनर है और ऐसा हुनर जो कभी-कभी हमारी सोच से परे होता है। विडंबना यह है कि इसके बारे में न कोई सरकारी तंत्र हमें बताता है जबकि कई बार इसे खुद हम जानना भी नहीं चाहते हैं। लेकिन तिनका तिनका के बैनर तले बंदियों को उनके हुनर का सम्मान मिल रहा और हौसलों को पंख। अब आलम यह है कि बंदी भी हर वर्ष बड़ी उम्मीदों के साथ इन अवॉर्ड्स का इंतज़ार करते हैं और भारी मात्रा में अपना नामांकन भी भेजते हैं। जिसके बाद सम्मानित लोगों की ज्यूरी परिणाम को तय करती है और एक सादे आयोजन में इन पुरस्कारों को वितरित किया जाता है।
इन अवॉर्ड्स के ज़रिए एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी हो रहा है कि जेल की रचनात्मकता को अब संजोया जा रहा है। जो आने वाले वाले समय में शोध का विषय भी बन सकता है।
गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ही तिनका तिनका ने पॉडकास्ट की एक बेहद सुंदर शुरुआत की है। उम्मीद है कि अब भविष्य में पॉडकास्ट के माध्यम से डॉ. नन्दा, की आवाज़ में हम जेल की अनसुनी कहानियों को सुन सकेंगे जिसमें अवॉर्ड्स का भी ज़िक्र शामिल होगा।
देश का जागरूक नागरिक होने के नाते हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि डॉ. नन्दा के इस विलक्षण प्रयास की हम सराहना करें और जितना हो सके उतना इसका प्रचार-प्रसार करें। हमारे इस योगदान से शायद इन अवॉर्ड्स को एक नई शक्ति मिलेगी। जो एक प्रकार से हमारे तरफ से समाज सुधार लिए एक कदम होगा।
अंत में बस इतना ही,
“मंज़िल यूँ ही नहीं मिलती राही को,
जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है।
पूछा चिड़िया से कि घोसला कैसे बनता है,
वो बोली कि ‘तिनका तिनका’ उठाना पड़ता है।”
-अज्ञात
Written by Harsh Vardhan
There is definately a lot to find out about this issue.
I really like all of the points you made.
It is important to recognize and reward those inmates who are making an effort to improve themselves after the mistakes they have made. We should recognize people who are willing to change even under the difficult circumstances under which they have to live in prisons. It is excellent that Tinka Tinka is appreciating and rewarding inmates’ creativity and talents. This award will also motivate other inmates to do better and will give them a purpose to strive for in a purposeless life. I hope new categories are also added to the awards. It is also very good to know that organizations are recognizing the hard work of prison staff and administrations. #tinkatinka #tinkamodelofprisonreform #awards #prisonreform
The reward for work well done is the opportunity to do more. Inmates exhibiting their talents and administrators doing extra ordinary work has been awarded by the Tinka Tinka MOVEMENT, FOR THE OVERWHELMING WORK THEY HAVE DONE.
Without the appreciation and a push of Dr Vartika Nanda this wouldn’t ever have been put forward.
The reward for work well done is the opportunity to do more. Inmates exhibiting their talents and administrators doing extra ordinary work has been awarded by the Tinka Tinka MOVEMENT, FOR THE OVERWHELMING WORK THEY HAVE DONE.
Without the appreciation and a push of Dr Vartika Nanda this wouldn’t ever have been put forward.
Hmm it appears like your blog ate my first comment (it was extremely long) so I guess I’ll just sum it up what I submitted and say, I’m thoroughly enjoying your blog.
I as well am an aspiring blog blogger but I’m still new to the whole thing.
Do you have any helpful hints for novice blog writers?
I’d really appreciate it.
Pretty! This was a really wonderful post. Many thanks for providing this information.