घूमना,नए नए रास्तों पर चलना ,इस दुनिया को जितना आंखे देख सकती है, उतना देखने को चाह har किसी में होती है लेकिन क्या कभी ने आजाद दुनिया से हटकर एक बंदी की दुनिया को देखा या जाना है?क्या कभी उस बंद उड़ान,दबी आवाज की गूंज सुनने को कोशिश की है?
” शायद बहुतायत में ना”। डॉ वर्तिका नन्दा की संचालित संस्था “तिनका तिनका फाउंडेशन” ने कई सालों से यह जिम्मा उठाया है और उसे बकूबी निभाया है। जेल की दुनिया को अपनी पुस्तकों ” तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना, तिनका तिनका मध्य प्रदेश और जेलों पर रेडियो पॉडकास्ट – तिनका तिनका जेल रेडियो- के द्वारा सबको परिचित करवाया है। डॉ.वर्तिका नंदा का मानना है कि” जेलो के अंदर ठिठके पल बाहर नहीं आते, बाहर की रोशनी अंदर नहीं जाती,मुझे एक पुल बनाना है,यह मेरी जिद है।”
तिनका तिनका फाउंडेशन न केवल बंदियों को भाषा, संस्कृति,कला और साहित्य के क्षेत्र से उनको परिचित और उत्साहित बनाता है बल्कि उन्हें जेल रेडियो की दुनिया को पॉडकास्ट के द्वारा उनकी आवाज को पहचान दिलाता है। भावुक पलों और यादों को बंदियों के संग मिलकर उनको दर्द से बाहर निकलकर सपनों को ” तिनका तिनका इंडिया अवार्ड” और “तिनका तिनका बंदिनी” अवार्ड देकर सौपती है।
कोविड-19 के समय बंदियों के दिन भी भारी हो गए थे लेकिन जेल में लाइब्रेरी और जेल रेडियो पॉडकास्ट होने की वजह से बंदी कला और साहित्य के जरिए खुद को अवसाद से बचा सके। इसमें तिनका तिनका की एक बड़ी भूमिका थी।
हम बहुत से उदाहरण जैसे आगरा या सोनीपत की जेल से ले सकते हैं कि कैसे बंदियों ने कला साहित्य के क्षेत्र में अपने आप को निखारा और एक नई पहचान बनाई। “हमे समझना है” गीत और कविताएं लिखी हैं जो उनकी लगन और सही दिशा में जाने का प्रमाण देता है। तिनका तिनका फाउंडेशन ने जेल से जेल रेडियो की शुरुआत की। कशिश नाम के एक बंदी ने तिनका तिनका के सहयोग से एक गाना भी बनाया और रेडियो पर अभिव्यक्त भी किया जैसे ” ए खुदा तू बताना कैसी मुसीबत कैसा फंसाना, दे दे तू मौका ज़िंदगी एक बार जीने का अधूरी उड़ानों को दोबारा पूरी दुनिया का”। इस प्रकार डॉ.वर्तिका नन्दा ने जेल की दुनिया पर अपना ध्यान और मेहनत से जेल की सुविधाओं और महिला बंदियों की स्थिति में सुधार लाया है ।उनके प्रयासों और मेहनत को हमारा नमन।
घूमा हूं जगह जगह,
रुत थी मन मर्जी की।
जबसे देखी कैदी की ज़िंदगी,
सुन हो गया खड़ा।
लौट आया मैं,
ना भूल पाया वो पल ,
टूट गया मेरा घमंड,
उस दर्द को देखकर
जिनआंखो में आशा थी आजादी की।
इसलिए ही दुनिया कहती है,
ना देखना दुनिया बागी की।
वर्तिका नन्दा बंदियों की कहानियों, उनकी जिंदगियों पर पॉडकास्ट करने के अलावा दिल्ली पुलिस के पहले और इकलौते पॉडकास्ट- किस्सा खाकी का- की भी आवाज हैं।
Tinka— in saying this word seems very slight, but if one measures the depth of the word, it is not as simple as we think it is. Many such straws can get together to create hope in the heart of a person. They can give them the goal to live and it has been doing “Tinka – Tinka Foundation” which is a jail reformer. Tinka Tinka gave the idea of life led the prisoners to live by gathered within himself all these straws. and it has come to this point today, by combining all the straws.
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