31 जुलाई, 2022
तारीख 31 जुलाई, साल 2013, जगह तिहाड़। उस दिन भारत के पहले जेल रेडियो का जन्म हो रहा था और मैं तिहाड़ जेल में खड़ी उसकी साक्षी थी। यही वह समय था जब तिनका तिनका तिहाड़ अपना अंतिम रूप ले रहा था। अब तारीख बदली हैं 31 जुलाई 2021, ठीक 6 साल बाद तिनका तिनका खुद एक जेल रेडियो को जन्म देता है, जगह ज़िला जेल आगरा। यह जेल भारत की सबसे पुरानी जेल इमारतों में से एक है। जिस दौरान उत्तर प्रदेश की जेलों पर मैं एक शोध कर रही थी,तब (बारीकी से देखने पर ) यह पता चला कि हर जेल की एक अलग अपनी ज़रूरत है। और जेल रेडियो उसमें एक बड़ी कमी को पूरी कर सकता है।
यह सोचा कि काम कुछ कागज़ों पे सीमित न हो, इसलिए ज़रूरी है कि तिनका तिनका ठोस काम की कड़ियों को जोड़ता जाए और यही वजह है कि ज़िला जेल, आगरा में बनाया गया – आगरा जेल रेडियो। मार्च 2019 में इसका खाका तैयार किया गया। 2 रेडियो जॉकी सामने आए एक पुरुष और एक महिला, नाम उदय और तुहिना। दोनों विचाराधीन, उदय पुरुषों का नेतृत्व करता था और तुहिना महिला बैरक का।
आज से ठीक 3 साल पहले इस समय जेल में भरपूर हलचल थी। एक छोटा सा कमरा जिसे सतीश और अरबाज़ ने सजाया था। सतीश ने बताया था कि अभी कुछ दिन पहले उसने आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन उसे जब जेल के कमरे को सजाने का काम दिया गया तो उसकी आँखों की चमक देखने लायक थी। जेल के इस कमरे में मामूली सुविधाएं थीं, एक छोटा सा स्टूल था, एक छोटा सा टेबल, एक माइक्रोफोन, पीछे एक बड़ा सा सूरज, जो तिनका तिनका की पहचान है। भरे हुए रंग, छोटा सा कमरा अचानक उमीदों से भरा हुआ दिखने लगा।
जेल रेडियो का यह कमरा जेल के मुख्या द्वार के एकदम पास है। एक ऐसी जगह जो महिला और पुरुष, दोनों जेलों के बीच की जगह थी। उस दिन जेल के रेडियो के उद्घाटन को देखने के ख़ास तौर पर जेल के बच्चों को बुलाया गया था। उस दिन ठुमकते ठुमकते थोड़ा-सा चलकर बाहर आये तो उन्हें एक अलग सी दुनिया दिखाई दी। जहाँ पर बहुत सारे पुरुष थे, वर्दी पहने हुए बहुत सारे लोग और अचरज यह कि इतने सारे गुब्बारे, इतने सारे रंग। इन बच्चों ने पहली बार गुब्बारों को देखा था। पहली बार इतने रंगों को देखा। पहली बार इतने झालरों को देखा। माइक्रोफोन को देखा, इतनी खुशियों को देखा। वे तो ठिठक गए, उस दिन उन्होंने बहुत सी मिठाइयां भी खाईं। इस तरह शुरू हुआ जेल का रेडियो।
जेल रेडियो का उद्घाटन आगरा के एसएसपी श्री बबलू कुमार SSP Agra, जिला जेल, आगरा के जेल सुपरिंटेंडेंट श्री शशिकांत मिश्रा और मैंने किया। सबसे पहले उदय और तुहिना को सारी जेल से इंट्रोड्यूस किया गया। और उसके बाद शुरू हो गया जेल का रेडियो सबसे खास बात यह थी कि इस जेल के रेडियो पर जेल के बच्चों ने अपनी कविताएं सुनाई
इस तरह आगरा जेल रेडियो चलने लगा, कुछ दिनों बाद, जब एक और विजिट पर गई तो मैंने देखा कि इस बार उत्साह के साथ सामने आया रजतऔर अ सल में कहूं तो यही रजत बाद में जेल रेडियो की भाग-दौड़ को सँभालने लगा। चुपचाप सा दिखने वाला रजत, जेल रेडियो के लिए पूरी तरह से समर्पित था।
मार्च 2020 में कोरोना आया तो फिर शुरुआत में ही जेल के अधीक्षक श्री शशिकांत मिश्रा औ रमैंने कुछ घोषणाएं कीं। और फिर कोरोना के समय बंदियों को सतर्क करने में जेल का रेडियो एक बड़े साधन के तौर पर जुट गया। जेल रेडियो का पूरा संचालन तिनका तिनका मॉडल ऑफ प्रिजन रिफॉर्म्स के तहत किया गया। इसी मॉडल को हम लगातार संशोधित करते रहे और 2021 में हरियाणा की 7 जेलों में रेडियो आ गया।
वैसे यह भी बता दूँ कि ज़िला जेल आगरा में इस रेडियो के आने क बाद इसी साल 2019 में तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स के लिए, उदय और तुहिना को विशेष तौर पर ज़िला जेल, लखनऊ में आमंत्रित किया गया। इन् दोनों को पुरस्कार दिया उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक श्री आनंद कुमार और पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री सुलखन सिंह ने।
बहरहाल आगरा जेल रेडियो अपनी कोशिशों के साथ जारी है। बहुत सी जेलों में जेल रेडियो शुरू हुआ कर फिर बंद भी हो गया, या फिर कुछ में नाम के लिए शुरू हुआ। लेकिन तिनका यह कोशिश करता है कि जब रेडियो शुरू हो तो एक ख़ास मॉडल के साथ हो। पूरी तैयारी के साथ हो और वह निरंतर चलता रहे। लेकिन एक सच यह भी है कि जेल के रेडियो का ईंधन, उसकी ऊर्जा, उसकी इच्छाशक्ति, बंदियों और जेल के स्टाफ से ही आती है। कई बार जेल स्टाफ को यह समझाना जरा मुश्किल होता है कि आवाज़ों की दुनिया सलाखों में रंग भरने का काम कर सकती है और अगर इन रंगों से खुशियां आती हों तो उसका स्वागत करने में हर्ज़ ही क्या है।
( डॉ. वर्तिका नन्दा जेल सुधारक हैं। वे देश की 1382 जेलों की अमानवीय स्थिति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई का हिस्सा बनीं। जेलों पर एक अनूठी श्रृंखला- तिनका तिनका- की संस्थापक। दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल। 2019 में आगरा की जिला जेल और 2021 में हरियाणा की जेलों में रेडियो की शुरुआत की। तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका मध्य प्रदेश – जेलों पर उनकी चर्चित किताबें। हाल में 2020 में आईसीएसएसआर की इंप्रैस स्कीम, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए भारतीय जेलों में संचार की जरुरतों पर एक कार्योन्मुखी शोध पूरा किया जिसे उत्कृष्ट मानते हुए प्रकाशन के लिए प्रस्तावित किया गया है।)
क्या हमने कभी सोचा है कि जेल के अंदर कैद बन्दी वहां कैसे रहते होंगें ? कैसे अपना मनोरंजन करते होंगे ? कैसे इतना बड़ा दिन गुजारते होंगे ? आपस में बातें कैसे करते होंगे और अगर उन्हें कोई गीत सुनने की इच्छा हो तो वो जेल में अपने मन को कैसे बेहलाते होंगे ?
यह सारी चीज़े वह है जो बन्दी करना चाहते हैं परंतु कर नहीं पाते । बंदियों कि इन्ही ईच्छाओं को ध्यान में रखते हुए। जेल ने अपने कारागार रेडियो का शुभारंभ किया जो की बंदियों कि आवाज़ बनेगा । इसमें रेडियो (जॉकी) आर – जे भी कैदी हैं। इस रेडियो के माध्यम से बन्दी अपने मन पसंद गीत को सुन पाएंगे और बन्दी आपस में एक दूसरे बंदियों को सलाह भी दे पाएंगे। वर्तिका नंदा की इस योजना का मकसद जेल के माहौल में एक नए बदलाव को लाना है।इस रेडियो के माध्यम से बन्दी आपस में संवाद ना करनें की इच्छा को खतम कर पाएंगे और अपनी ज़िन्दगी में संगीत की सरगम को महसूस कर पाएंगे।
#tinkatinka #Vartikananda #prisonreforms #humanrights #jailradio #jails #prisons