इसे देश के नाम संदेश माना जाए
सलाखों के पार तिनका जेल रेडियो
साल 2020 से पूरे देश को कोरोना वायरस ने अपनी गिरफ्त में रखा हुआ है। कह सकते हैं कि कोरोना वायरस ने आंशिक रूप से पूरी दुनिया में अवसाद और तनाव जैसा माहौल पैदा कर दिया है। जेलें भी इससे कहां अछूती रहने वाली थीं। ऐसे में ज़रूरत थी उन लोगों के बारे में सोचने की जिनका बाहरी दुनिया से कनेक्शन टूटा हुआ था। और वह जगह है जेल।
साल 2020 में हरियाणा की जेलों को मिली रेडियो की सौगात
तिनका तिनका फाउंडेशन ने सितंबर 2020 में तय किया कि हरियाणा की जेलों में रेडियो की शरुआत की जाएगी, ताकि अकेलेपन और अवसाद के बीच बंदियों के पास अपनी आवाज़ को सब तक पहुंचने का एक मंच बन सके। इन जेलों में रेडियो लाने की परिकल्पना तिनका तिनका प्रिज़न रिफॉर्म्स की संस्थापक डॉक्टर वर्तिका नन्दा की थी। इस परियोजना को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा की सभी जेलों में ऑडिशन की तैयारी की गई, जिसके बाद 3 जेलों के बंदियों का ऑडिशन किया गया। ये जेलें थीं- ज़िला जेल पानीपत, ज़िला जेल फरीदाबाद और केंद्रीय जेल अंबाला। ऑडिशन के दौरान 60 से अधिक बंदियों में से 21 बंदियों का चयन किया गया। इनमें फरीदाबाद की ज़िला जेल में बंद 5 महिलाएं भी शामिल थीं। इसके बाद दिसंबर महीने में तिनका तिनका के बैनर तले इन सभी बंदियो को डॉक्टर नन्दा द्वारा विधिवत रूप से ट्रेनिंग दी गई। ये सभी बंदी अलग-अलग शैक्षणिक पृष्ठभूमि रखते थे।
सबसे पहले पानीपत जेल रेडियो का हुआ उद्घाटन
ट्रेनिंग के बाद फिर इन तीनों जेलों में रेडियो का संचालन शुरू हुआ। फिर वो घड़ी आई जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार था। 16 जनवरी, 2021 को हरियाणा राज्य में सबसे पहले पानीपत की ज़िला जेल में राज्य के जेल मंत्री रंजीत सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव अरोड़ा, जेल महानिदेशक के. सेल्वराज, जेल सुपरिटेंडेंट देवी दयाल और वर्तिका नन्दा ने जेल रेडियो का उद्घाटन किया।
इसके बाद ज़िला जेल फरीदाबाद और केंद्रीय जेल अंबाला में जेल रेडियो का उद्घाटन किया गया। इसी के साथ राज्य में जेल रेडियो के पहले चरण की समाप्ति हुई। गौरतलब है कि अंबाला की जेल भारत की ऐतिहासिक जेलों में से एक है यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे समेत 29 लोगों को फांसी हो चुकी है। जिस जेल का ऐसा इतिहास रहा हो वहां रेडियो के आने का मतलब रेगिस्तान में पानी होने से कम नहीं है।
डॉक्टर नन्दा बताती हैं, “जेल का रेडियो जेल के अंदर ही सुना जाता है और इसलिए यह एक तरह से उनका एक निजी माध्यम होता है। जेलों में रेडियो लाने का सबसे बड़ा मकसद बंदियों को मानसिक मदद देना और उन्हें अवसाद से दूर रखना है। उनके खुद बनाए हुए कार्यक्रम उन्हें ज़िंदगी जीने का मकसद देंगे और आने वाले समय में एक सकारात्मक सोच बनाए रखने की शक्ति भी प्रदान करेंगे। इन जेल रेडियो के साथ तिनका तिनका दुनिया में पहली बार जेल पत्रकारिता की अवधारणा को स्थापित कर रहा है।”
47 बंदियों की बतौर आर.जे. बन गई है टीम
हरियाणा में कुल 19 जेलें हैं, जिनमें से 3 सेंट्रल जेल हैं। राज्य की जेलों में रेडियो लाने की योजना के तहत दूसरा चरण भी संपन्न हो चुका है। इनमें केंद्रीय जेल हिसार, ज़िला जेल रोहतक, ज़िला जेल करनाल और ज़िला जेल गुरुग्राम शामिल हैं। इस के साथ ही अब तक 7 जेलों के कुल 47 बंदियों का चयन बतौर रेडियो जॉकी हो चुका है, जिनमें 10 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर शामिल है। तीसरे चरण में 5 जेलों को चुना गया है जिनमें ज़िला जेल सिरसा, सोनीपत, जींद, झज्जर और यमुनानगर शामिल हैं।
बंदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की पहल का नाम है रेडियो
भारत में इस समय करीब 4 लाख बंदी जेलों में बंद हैं। हरियाणा की 19 जेलों में से 3 में रेडियो की शरुआत कर दी गई है। अन्य जेलों में भी इस प्रकार की कोशिश होनी बाकी है। इस सकारात्मक कदम से जेलें भी प्रेरित होंगी और उनके मानसिक तनाव में कमी भी आएगी। इस बात में कोई दो मत नहीं है कि अब बंदी खुद ही उत्पादक और उपभोक्ता दोनों हैं। हालांकि, उनका बाहरी दुनिया से संचार टूटा हुआ है लेकिन वे जेल के भीतर रेडियो के ज़रिए एक अनोखा संवाद स्थापित कर रहे हैं। इस अभिनव प्रयोग से उम्मीद है कि जेल में रेडियो बंदियों में नई उमंग व ऊर्जा का संचार करने के साथ ही उन्हें रचनात्मक भी बनाएगा।
बंदी अब आत्मनिर्भर हो सकेंगे और इससे आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को भी बल मिलेगा। जेल की दीवारों को जब बंदी अलविदा कहेंगे तब उनके पास एक हुनर होगा, निश्चित तौर पर इससे बंदियों के जीवन को एक नया आयाम मिलेगा। तिनका तिनका की इस कोशिश से कितने बंदियों के जीवन में कितना सकारात्मक बदलाव आएगा इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है। उम्मीद है हरियाण की अन्य जेलों में भी जल्द रेडियो लाने की शुरुआत की जाएगी और इसके बाद अन्य राज्य की जेलों में भी यह कारवां जारी रहेगा बढ़ेगा।
डॉक्टर नन्दा के मुताबिक, “अब तक जिन जेलों में रेडियो आया है उनके नतीजे शानदार रहे हैं। बंदियों को खुद यकीन नहीं हो पा रहा कि उनका अपना रेडियो उनके लिए इतना कुछ कर सकता है। जेल का यह रेडियो उनके लिए किसी जादुई छड़ी से कम नहीं है।”
उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसे सार्थक प्रयास के लिए एक दिन कई लोग साथ होंगे। डॉक्टर नन्दा और तिनका तिनका प्रिज़न रिफॉर्म्स के प्रयासों को देखते हुए निश्चित ही वह दिन दूर नहीं हैं जब हम जेल के अंदर भी सकारात्मक ऊर्जा को महसूस कर सकेंगे और बंदियों की सृजनात्मकता की खबरों से रूबरू हो सकेंगे। ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि तिनका तिनका प्रिज़न रिफॉर्म्स के जिस मॉडल को डॉक्टर वर्तिका नन्दा बना रही हैं, वह दुनिया भर की जेलों को रेडियो लाने में एक नई दिशा होगा।
हर्ष वर्धन