Book Review
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अभी अभी वर्तिका नंदा की जेल पर लिखी पुस्तक तिनका तिनका डासना “ पढ कर पुरा की।
जब भी जेलों की इबारत लिखी जाएगी
तिनकों की कहानी भी कही जाएगी —
वर्तिका नंदा ।
वर्तिका नें एक स्वप्न के साथ जेल के अंदर की यात्रा की शुरुआत किया ।वह लिखती हैं—कैदियों के बीच एक उम्मीद के चिराग़ को स्थापित करनें के लिए ताकि सज़ा के बीच रौशनी भी रहे और साथ में सृजन और मानवता भी ।वह अपनी भूमिका में लिखती हैं कि,”बाहर की आसान सी दुनियाँ को छोड़ कर मैंने अंदर की मुश्किल और उदास दुनियाँ को क्यों चुना ??…मुझे बार बार लगा कि बाक़ी सभी काम शायद अभी इंतज़ार कर सकते हैं ,लेकिन जो लोग इन सीखचों की परिधी में हैं,उनके लिए मुझे इस यज्ञ को प्राथमिकता देनी हीं होगी ।”
और वर्तिका नंदा ने वही किया कॉलेज के काम के बाद का सारा समय पर्व त्योहार की छुट्टियाँ जेल के अंदर की दुनिया में बसे लोगों को समर्पित कर दिया ।
एक ऐसा दीपक जलाया जिसकी रौशनी तिहाड़ से भोपाल और डासना जेल तक आ पहुँची ।मैं पढ़ती रही और यही सोचती रही कि वर्तिका ने जेल में दीपक हीं नहीं जलाया वरन कितनी अंधेरी ज़िंदगियों के मन पर लगे तालों को खोलने का काम किया ।हर इंसान के भीतर एक बहुत हीं मुलायम कोना होता है ,जहाँ कला का वास होता प्रेम का वास होता है ।जेल में रह रहे क़ैदियों को उस कोनें को ढूँढ निकालने का काम किया ।लेखिका मे वहाँ रहने वालों के अपराध के बारे में कुछ भी नहीं लिखा ।लिखा है उनके मन के बारे में उनके उन सपनों के बारे में जिसे जेल में आने के बाद उन लोगों ने उसे बाहर हीं दफ़्न कर दिया था ।कौन सोच सकता कि उम्मीद के चिराग़ की रौशनी ऐसी फैलेगी कि कविता संगीत चित्रकारी योगा के रुप में जेल की बेरंग दुनिया में रंग भर देगी ।
डॉ.नूपुर तलवार ,डॉ. राजेश तलवार क़ैदियों का इलाज करते ।आरुषि जो उनकी ज़िन्दगी थी खुशी थी जिसकी हत्या के आरोप में सज़ा काट रहें हैं ।अपनी बेटी की स्मृति में कविताएँ लिखते हैं ।विवेक ने दिवारों पर चित्रकारी कर के एक इतिहास रच दिया ।और यह भी कैसा सुखद संयोग कि जिस दिन उस दिवाल की चित्रकारी का काम समाप्त हुआ उसी दिन उसकी रिहाई का पत्र मिला ।
आजीवन कारावास की सज़ा भुगत रही नेहा जेल में जरदोजी और ब्यूटीशियन का काम सिखाती है ।उसे फाँसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है ।लेकिन उसने ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं की ।वह वर्तिका के उम्मीद के चिराग़ से थोड़ी सी रौशनी लेकर अपनी छोटी सी ज़िन्दगी को कुछ अर्थ देने की कोशिश में लगी है ।
लेखिका का जेल में पदस्थापित ऑफ़िसरों ने बहुत मदद किया। वह भी इस मिशन को पुरा करने के लिए मन से लग गये ।
2016 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर @तिनका तिनका बंदिनी@ अवॉर्ड की घोषणा की गई ।महिला बन्दियों के नाम समर्पित देश के इस तरह के पहले ऐसे सम्मान हैं ,जो अब हर साल दिये जाएँगे ।वर्तिका नंदा के इस अभियान में सबका साथ सबका विश्वास साथ रहे तो यह उम्मीद का चिराग़ पुरे देश के जेलो को रौशन करेगा । 🌹🌻🌺🌸🌷😊
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–Neelima Singh