Tinka Prison Radio helped 74% jail inmates to deal with mental issues in District Jail, Karnal

Tinka Prison Radio helped 74% jail inmates to deal with mental issues in District Jail, Karnal

  • Inmates were asked to respond to 10 questions
  • 32% inmates prefer listening to romantic music 
  • Haryana got its first Jail Radio in 2021

74% inmates lodged in District Jail, Karnal are able to deal with mental stress and issues related to mental health due to the availability of prison radio.  This has been revealed in a recent survey conducted by Tinka Tinka Foundation. The survey has brought out several facts that are crucial in the domain of prison reforms. 50 respondents (25 men and 25 women) participated in this survey from the jail. Time period for this survey was from January 1 to February 1, 2024. 

Karnal Jail has a capacity of 2434 inmates, with present occupancy of nearly 2050  inmates, including 59 women inmates. Inmates were selected from 34 barracks in the jail.  The research was conducted under the aegis of Tinka Tinka Research Cell (TRC), which was established in 2021.  TRC is a wing of Tinka Tinka Foundation which aims to carry out research on issues related to prison. Prison reformer Dr. Vartika Nanda is the founder of Tinka Tinka Foundation. She heads the Department of Journalism in Lady Shri Ram College, Delhi University.

Research methodology: Respondents were given 10 questions pertaining to prison radio. The purpose was to understand the significance of jail radio and also the scope for improvisation. 

Research Outcome: The answers have pointed out the potential of jail radio, including the role of music, in contributing to the healing process of jail inmates.

The research indicates that music is the most popular radio programme among prisoners. 46% of surveyed prisoners enjoyed Bollywood programs, 26% prisoners liked folk programs while 8% prisoners preferred health related programs. 18% of prisoners have indicated a desire for programs pertaining to agriculture, 24% prisoners want counselling related to their work and personal lives, and 46% prisoners prefer to listen to a mix of different  kinds of programs. 52% of prisoners believe that jail radio has brought a positive change in their life. 26%  inmates think that since the jail radio’s launch in 2021, there have been fewer instances of disputes between inmates and jail staff. According to 74% of inmates, jail radio has made it easier for them to manage stress and other mental health problems.  80% of prisoners believe that air-time is adequate.

Preferred Songs by the inmates: The jail radio plays music from a variety of genres. According to the survey, 32% of inmates prefer listening to romantic music, 2% prefer listening to relationship based songs, 12% prefer listening to sad songs, 36% prefer bhakti(devotional) songs and 18% like to listen to patriotic songs. Music is usually played in accordance with the atmosphere of the jail. 

Jail Staff: Research was conducted under the supervision of  Shailakshi Bhardwaj, with the support of Amit Bhadu, Superintendent of the jail. At the time of the establishment of TCR in 2021, K. Selvraj, DG, Prisons, Haryana had approved the appointment of two women inmates from this jail as researchers. 

Prison Radio: Prison radio is a comparatively new concept in India. These radios are set-up and run in-house. The objective is to give inmates the opportunity to create their own content and also be the consumers of the content. Superintendent of District Jail, Karnal, Amit Bhadu feels that the impact of jail radio is clearly visible. It has reduced the cases of aggression and indiscipline by the inmates in jail. Shailakshi Bhardwaj believes that during Covid-19, prison radio proved to be a true companion for these inmates. Post pandemic, the radio continues to be a support for them.

Background: Founded by prison reformer Dr. Vartika Nanda, Tinka Tinka Foundation is credited with starting prison radio in District Jail, Agra (Uttar Pradesh), District Jail, Dehradun (Uttarakhand) and the jails of Haryana. Panipat was the first jail to have its own prison radio in the state of Haryana. Thereafter, Karnal jail radio was inaugurated in April 2021. Jail radio has been of extreme help, especially during COVID-19 when inmates were able to deal with mental stress and depression due to the presence of the  radio. The jail radio room receives approximately 30-35 requests per day. In the initial stage, 10 inmates were chosen from this jail as radio jockeys, with 5 women as active participants. During the course of the journey, Tinka Tinka established Tinka Jail Paathshala, which aimed at inculcating the habit of writing and providing inmates the opportunity to showcase their creative and artistic skills.

प्रेस विज्ञप्ति: 9 मार्च, 2024: तिनका जेल रेडियो ने जिला जेल, करनाल में 74% कैदियों को मानसिक समस्याओं से निपटने में मदद की

  • कैदियों से 10 सवालों के जवाब देने को कहा गया
  • 32% कैदी रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते हैं
  • हरियाणा को 2021 में अपना पहला जेल रेडियो मिला

जिला जेल, करनाल में बंद 74% कैदी जेल रेडियो के कारण मानसिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों से निपटने में सक्षम हो रहे हैं. तिनका तिनका फाउंडेशन द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है. सर्वेक्षण में कई और तथ्य सामने आए हैं, जो जेल सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं. इस सर्वेक्षण में जेल से 50 बंदियों (25 पुरुष और 25 महिलाएं) ने भाग लिया. सर्वे की समयावधि 1 जनवरी से 1 फरवरी 2024 तक थी.

करनाल जेल में 2434 बंदियों की क्षमता है, जिनमें वर्तमान में लगभग 2050 बंदी हैं जिनमें 59  महिलाएं शामिल हैं. जेल की 34 बैरकों से कैदियों का चयन किया गया था. यह शोध तिनका तिनका रिसर्च सेल (टीआरसी) के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसे 2021 में स्थापित किया गया था. टीआरसी, तिनका तिनका फाउंडेशन की एक शाखा है जिसका उद्देश्य जेल संबंधित मुद्दों पर शोध करना है. जेल सुधारक डॉ. वर्तिका नंदा तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक हैं. वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं.

अनुसंधान पद्धति: उत्तरदाताओं को जेल रेडियो से संबंधित 10 प्रश्न दिए गए थे. इसका उद्देश्य जेल रेडियो के महत्व और सुधार की गुंजाइश को समझना था.

शोध परिणाम: उत्तरों ने जेल कैदियों की उपचार प्रक्रिया में योगदान देने में संगीत की भूमिका सहित जेल रेडियो की क्षमता की ओर इशारा किया है. शोध बताती है कि कैदियों के बीच संगीत सबसे लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम है. सर्वेक्षण में शामिल 46% कैदियों ने बॉलीवुड कार्यक्रमों का आनंद लिया, 26% कैदियों ने लोक कार्यक्रमों को पसंद किया जबकि 8% कैदियों ने स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों को पसंद किया,nवहीं 18% कैदियों ने कृषि से संबंधित कार्यक्रमों की इच्छा व्यक्त की है. 24% कैदी अपने काम और व्यक्तिगत जीवन से संबंधित परामर्श चाहते हैं. और 46% कैदी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का मिश्रण सुनना पसंद करते हैं. 52% कैदियों का मानना ​​है कि जेल रेडियो ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है. 26% कैदियों का मानना ​​है कि 2021 में जेल रेडियो के लॉन्च के बाद से कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच विवाद के मामले कम हुए हैं. 74% कैदियों के अनुसार जेल रेडियो ने उनके लिए तनाव और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रबंधन करना आसान बना दिया है. 80% कैदियों का मानना ​​है कि एयर-टाइम पर्याप्त है.

कैदियों के पसंदीदा गाने: जेल रेडियो विभिन्न शैलियों का संगीत बजाता है. सर्वेक्षण के अनुसार 32% कैदी रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते हैं, 12% दुखद गाने, 36% बंदी भक्ति-संगीत जबकि 18% देशभक्ति गीत सुनना पसंद करते हैं जबकि 2% बंदी रिश्तों पर आधारित गाने सुनना पसंद करते हैं.

जेल स्टाफ: जेल अधीक्षक अमित भादू के सहयोग से शैलाक्षी भारद्वाज की देखरेख में यह अनुसंधान किया गया है. 2021 में टीसीआर की स्थापना के समय, हरियाणा के जेल महानिदेशक के. सेल्वराज ने इस जेल से दो महिला कैदियों को शोधकर्ता के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी थी.

जेल रेडियो: जेल रेडियो भारत में तुलनात्मक रूप से एक नई अवधारणा है. ये रेडियो जेल में ही स्थापित और चलाए जाते हैं। इसका उद्देश्य कैदियों को अपनी पसंद के कार्यक्रम खुद बनाने, स्किल विकसित करने और अपने सदुपयोग के लिए जेल के रेडियो का सही इस्तेमाल करने का अवसर देना है। जिला जेल करनाल के अधीक्षक अमित भादू का मानना ​​है कि जेल रेडियो का असर साफ दिख रहा है। इससे जेल में कैदियों द्वारा आक्रामकता और अनुशासनहीनता के मामलों में कमी आई है। शैलाक्षी भारद्वाज का मानना ​​है कि कोविड-19 के दौरान जेल रेडियो इन कैदियों के लिए एक सच्चा साथी साबित हुआ। महामारी के बाद भी रेडियो उनके लिए सहारा बना हुआ है।

पृष्ठभूमि: तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा को जिला जेल, आगरा (उत्तर प्रदेश), जिला जेल, देहरादून (उत्तराखंड) और हरियाणा की जेलों में जेल रेडियो शुरू करने का श्रेय दिया जाता है. पानीपत जेल हरियाणा की पहली जेल थी जहां सबसे पहले रेडियो की स्थापना हुई थी. इसके बाद अप्रैल 2021 में करनाल जेल रेडियो का उद्घाटन किया गया. जेल रेडियो अत्यधिक मददगार रहा है, खासकर COVID-19 के दौरान, जब कैदी रेडियो की उपस्थिति के कारण मानसिक तनाव और अवसाद से निपटने में सक्षम थे. जेल रेडियो में प्रतिदिन लगभग 30-35 अनुरोध प्राप्त होते हैं. प्रारंभिक चरण में, इस जेल से 10 कैदियों को रेडियो जॉकी के रूप में चुना गया था, जिनमें 5 महिलाएं सक्रिय भागीदार थीं. यात्रा के दौरान तिनका तिनका ने तिनका जेल पाठशाला की स्थापना की, जिसका उद्देश्य कैदियों को लिखने की आदत विकसित करना और उनके रचनात्मक और कलात्मक कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करना था.

Relevant Link:

Broadcasting Day on Karnal Jail Radio: Vartika Nanda: Tinka Tinka Jail Radio: Ep 23: Broadcasting Day: Theme Song: Karnal Jail (youtube.com)

Citation

Shirish, S and Pushplata, (2024), Study on the Impact of Tinka Jail Radio on Inmates in District Jail, Karnal. Communication Today, pp 82-89, Vol.28, No.1-2 (January-June, 2024), ISSN: 0975-217X

अब कैदियों को मिली म्यूजिक थैरेपी

9 मार्च, 2024/ जेल में कैदियों को  अपना दुख और अवसाद  कम करने में म्यूजिक थेरेपी का लाभ मिल रहा है। काल कोठरी में बंद कर कैदी संगीत में सहारा तलाशते हैं। तीन राज्यों में जेल रेडियो के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। तिनका जेल रेडियो ने जिला जेल, करनाल हरियाणा में 74% कैदियों को मानसिक समस्याओं से निपटने में मदद की है। हाल ही में एक अध्ययन में  जब कैदियों से कुछ सवालों के जवाब देने को कहा गया तो यह जानने को मिला कि   32% कैदी रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते हैं। इसी तरह हरियाणा को 2021 में अपना पहला जेल रेडियो मिला था। जिला जेल, करनाल के 74% कैदी जेल रेडियो के कारण मानसिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों से निपटने में सक्षम हो रहे हैं। एक संस्था तिनका तिनका फाउंडेशन ने हाल ही में एक सर्वे  करवाया जिसमें यह बात सामने आई है।सर्वेक्षण में कई और तथ्य सामने आए हैं, जो जेल सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं।इस सर्वेक्षण में जेल से 50 बंदियों (25 पुरुष और 25 महिलाएं) ने भाग लिया था। सर्वे जनवरी और फरवरी 2024 में किया गया। 

करनाल की जेल में 2434 बंदियों की क्षमता है, जिनमें वर्तमान में लगभग 2050 बंदी हैं जिनमें 59  महिलाएं शामिल हैं। जेल की 34 बैरकों से कैदियों का चयन किया गया था। यह शोध तिनका तिनका रिसर्च सेल (टीआरसी) के तत्वावधान में किया गया, जो साल 2021 में स्थापित किया गया था। टीआरसी, तिनका तिनका फाउंडेशन की एक शाखा है जिसका उद्देश्य जेल से संबंधित मुद्दों पर शोध करना है। जेल सुधारक डॉ. वर्तिका नंदा , तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक हैं।दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख नंदा जी ने अनुसंधान पद्धति अपनाई है।इसमें उत्तरदाताओं को जेल रेडियो से संबंधित 10 प्रश्न दिए गए थे। इसका उद्देश्य जेल रेडियो के महत्व और सुधार की गुंजाइश को समझना था।

शोध परिणाम में ये बात सामने आई कि  कैदियों की उपचार प्रक्रिया और उन्हें सामान्य मनोदशा में बनाए रखने में  संगीत की भूमिका अहम है।  जेल रेडियो की क्षमता बेमिसाल है क्योंकि कैदियों के बीच संगीत सबसे लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम माना गया है। इस  सर्वेक्षण में शामिल 46% कैदियों ने बॉलीवुड कार्यक्रमों का आनंद लिया। कुल 26% कैदियों ने लोक कार्यक्रमों को पसंद किया जबकि 8% कैदियों ने स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों को पसंद किया।।

सर्वेक्षण में पाया गया कि 18% कैदियों ने कृषि से संबंधित कार्यक्रमों की इच्छा व्यक्त की है। इसी प्रकार 24% कैदी अपने काम और व्यक्तिगत जीवन से संबंधित परामर्श चाहते हैं। कुल 46% कैदी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का मिश्रण सुनना पसंद करते हैं। सबसे ज्यादा  52% कैदियों का मानना है कि जेल रेडियो ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है।  सर्वे कहता है कि 26% कैदियों का मानना है कि 2021 में जेल रेडियो के लॉन्च के बाद से कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच विवाद के मामले कम हो गए हैं।  करीब तीन चौथाई कैदियों के अनुसार जेल रेडियो ने उनके लिए तनाव और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रबंधन  आसान बना दिया है। अस्सी फीसदी कैदियों का मानना है कि एयर-टाइम पर्याप्त है।

कैदियों के  अपने पसंदीदा गाने भी होते हैं। जेल रेडियो विभिन्न शैलियों का संगीत बजाता है। सर्वेक्षण के अनुसार 32% कैदी रोमांटिक संगीत सुनना पसंद करते हैं, 12% दुखद गाने, 36% बंदी भक्ति-संगीत जबकि 18% देशभक्ति गीत सुनना पसंद करते हैं जबकि दो प्रतिशत बंदी रिश्तों पर आधारित गाने सुनना पसंद करते हैं.

 जेल अधीक्षक अमित भादू के सहयोग से शैलाक्षी भारद्वाज की देखरेख में यह अनुसंधान किया गया है। 2021 में टीसीआर की स्थापना के समय, हरियाणा के जेल महानिदेशक के. सेल्वराज ने इस जेल से दो महिला कैदियों को शोधकर्ता के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी थी।

 जेल रेडियो भारत में तुलनात्मक रूप से एक नई अवधारणा है। ये रेडियो घर में ही स्थापित और चलाए जाते हैं। इसका उद्देश्य कैदियों को अपनी पसंद के कार्यक्रम खुद बनाने, स्किल विकसित करने और अपने सदुपयोग के लिए जेल के रेडियो का सही इस्तेमाल करने का अवसर देना है। जिला जेल करनाल के अधीक्षक अमित भादू का मानना है कि जेल रेडियो का असर साफ दिख रहा है। इससे जेल में कैदियों द्वारा आक्रामकता और अनुशासनहीनता के मामलों में कमी आई है। शैलाक्षी भारद्वाज का मानना है कि कोविड-19 के दौरान जेल रेडियो इन कैदियों के लिए एक सच्चा साथी साबित हुआ। महामारी के बाद भी रेडियो उनके लिए सहारा बना हुआ है।

 तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा को जिला जेल, आगरा (उत्तर प्रदेश), जिला जेल, देहरादून (उत्तराखंड) और हरियाणा की जेलों में जेल रेडियो शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। पानीपत जेल हरियाणा की पहली जेल थी जहां सबसे पहले रेडियो की स्थापना हुई थी। इसके बाद अप्रैल 2021 में करनाल जेल रेडियो का उद्घाटन किया गया।जेल रेडियो अत्यधिक मददगार रहा है, खासकर कोरोना के दौरान, जब कैदी रेडियो की उपस्थिति के कारण मानसिक तनाव और अवसाद से निपटने में सक्षम थे। जेल रेडियो में प्रतिदिन लगभग 30-35 अनुरोध प्राप्त होते हैं। प्रारंभिक चरण में, इस जेल से दस कैदियों को रेडियो जॉकी के रूप में चुना गया था, जिनमें पांच महिलाएं सक्रिय भागीदार थीं। यात्रा के दौरान जेल पाठशाला की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य कैदियों में लिखने की आदत विकसित करना और उनके रचनात्मक और कलात्मक कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करना था।

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