लॉकडाउन के बीच जेलें अनजानी और अछूती हैं, लेकिन कोरोना के संकट को लेकर उनके काम में कहीं कोई कमी नहीं आई है। एक खबर महाराष्ट्र से आई है। महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुनील रामानंद ने एक नई पहल की है। उन्होंने महाराष्ट्र की पांच जेलों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया है।
यह जेलें हैं- मुंबई आर्थर और भायखला, केंद्रीय जेल ठाणे, केंद्रीय जेल कल्याण और केंद्रीय जेल पुणे। लॉकडाउन के दौरान इन सभी जेलों में अब कोई नया बंदी नहीं आ सकेगा। नए बंदियों को या तो किसी उप-जेल में भेजा जाएगा या फिर पास के किसी ग्रामीण क्षेत्र की जेल में।
इस दिशा में एक बड़ा कदम यह भी कि जेल सुपरिटेंडेंट और सभी जरूरी स्टाफ को निर्देशों के साथ 13 अप्रैल को ही उन्हीं की जेलों में लॉकडाउन कर दिया गया। अब वे इस जेल में बाकी बंदियों के साथ एक अलग परिसर में रह रहे हैं।
लॉकडाउन की अवधि पूरी होने तक वे जेल से बाहर नहीं आएंगे। जेल के लिए आने वाले सामान जैसे कि दूध और सब्जी- इनके प्रवेश की अनुमति है, लेकिन इसके लिए भी एक पूरी ड्रिल की जा रही है ताकि किसी भी तरह से कोई संक्रमण जेल में ना आ सके।
कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है...
यह फैसला खास तौर पर इसलिए लिया गया है, क्योंकि इन पांचों जेलों में अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा भीड़ है और संक्रमण के आने का मतलब होगा स्थिति का पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर चले जाना। मजे की बात यह है कि महाराष्ट्र के इस प्रयोग को अब देश की कुछ ओर जेलें भी अपनाने का मन बना रही हैं। इनमें हरियाणा की जेल भी शामिल है।
महाराष्ट्र की जेलों से करीब 5000 लोगों को पैरोल पर रिहाई देने की कोशिश चल रही है। करीब तीन हफ्ते पहले महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर राज्य की जेलों में सात साल अथवा उससे कम की कैद की सजा काट रहे 11000 कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था।
इसके तहत विचाराधीन कैदियों को जमानत देने तथा निर्धारित सजा से अधिक काट चुके लोगों को पूर्णत: रिहा करने पर विचार किया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने पहले ही महाराष्ट्र के नौ केंद्रीय कारागारों (मुंबई, ठाणे, खारघर, नासिक, पुणे, औरंगाबाद, कलंबा, अमरावती और नागपुर) को भारी भीड़ के कारण कैदियों को स्थानांतरित करने के लिए कह दिया था।
यह निर्धारित करने के लिए कि किस श्रेणी के कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है, राज्य के गृह मंत्रालय ने एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति नियुक्त की है, जिसमें राज्य विधिक सेवा समिति, प्रमुख सचिव (गृह) और महानिदेशक (कारागार) शामिल हैं।
कई जेलों ने इस दौर में शानदार मिसालें कायम की हैं...
भारत की जेलों में करीब 114 प्रतिशत की ओवरक्राउडिंग है और साथ ही कम से कम 33 प्रतिशत स्टाफ की कमी भी। ऐसे में जेलों के लिए सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है, क्योंकि भीड़ भरी जेल में वायरस का आने का मतलब यह है कि पूरी जेल तुरंत उससे प्रभावित हो सकती है। ऐसा होना बेहद खतरनाक होगा।
सुनील रामानंद की इस कोशिश से चार बातें सामने आती हैं। एक, कोरोना से निपटने को लेकर जेलों की तत्परता और तैयारी, दूसरे समय के अनुरूप सूझबूझ। तीसरे, भीड़ से ठसाठस भरी जेलों को लेकर ढीली कानूनी प्रक्रिया और चौथे, जेल अधिकारियों और स्टाफ की खुद को ही जेल में बंद कर लेने की मजबूती।
कोरोना को लेकर पूरी दुनिया की चिंताओं के बीच जेलें पहले की ही तरह अपने कर्म मे जुटी हैं। जरा उस भाव को सोचिए जिससे जेल के यह अधिकारी और स्टाफ खुद ही जेल के अंदर बंद होने के लिए राजी हो गए होंगे तकि रोज की आवाजाही से बंदियों में वायरस आने का कोई खतरा न पनपे।
कई जेलों ने इस दौर में शानदार मिसालें कायम की हैं। वे अनकही न रह जाएं, इसलिए देश की जेलों को समर्पित तिनका-तिनका अभियान इन कोशिशों को आपस में बांधने के प्रयास में जुट गया। ऐसा लगता है कि कोरोना को हराने में सिर्फ बाहर की दुनिया नहीं, बल्कि जेल की दुनिया भी पूरी तैयारी कर चुकी है।
डॉ.वर्तिका नन्दा जेल सुधारक हैं। वे देश की 1382 जेलों की अमानवीय स्थिति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई का हिस्सा बनीं।
Mr Sunil Ramanand has taken the right decision by imposing a lockdown in five central jails of Maharashtra. We all must have heard ‘prevention is better than cure’. Mr Ramanand has applied this in real life. It is also great news that this measure has been an inspiration for other states. While they have taken the right decision by releasing some of the inmates on parole, I think we should think of the accommodation for these inmates because some of them may not have any place to stay.
The decision of imposing lockdown is too viable at this time. This is a critical time and we as human beings must take all the preventive measures to reduce this eliminate this pandemic. Just a better system and accommodation of these inmates will fill all the certain loopholes. thanks to Tinka Tinka team and Vartika Ma’am for covering this story. #Vartikananda #prisoners #human_rights #humanity #change #tinkatinka
कोरोना के ऐसे संक्रमण की स्थति में, जहां तिनका तिनका और वर्तिका नंदा जी ने रोशनी डाली है कि भारत की जेलों में ओवरक्राउडिंग का विषय एक महत्वपूर्ण विषय है। ऐसे में श्री सुनील रामानंद के द्वारा लिया गया फैसला जेलों के लिए लाभदायक रहेगा। ऐसे समय में लिए गए इन फैसलों से जेल के अधिकारियों की सूज भूझ साफ साफ देखी जा सकती है। रामानंद जी का फैसला बाकी ओर जेलों के लिए मिसाल तो है। साथ ही साथ यह हमें दर्शाता है कि जेल के अंदर की दुनिया इस कठोर समय में ऐसी महामारी से लड़ने के लिए बाहरी दुनिया से ज़्यादा सक्षम है। मेरे खयाल में जेल के स्टाफ को जेल के अंदर ही रखने का उठाया गया बड़ा कदम बहुत ही अद्भुत है। भीड़ से ठसा ठस भरी जेलों को कोरोना के संक्रमण से बचाने का यही तरीका हैं और में आशा करती हूं कि भविष्य में यह तरीका लाभदायक ही साबित होगा। दूसरी बाकी जेलों को भी महाराष्ट्र कि जेल से कुछ सीखना चाहिए ओर इस कठोर समय में उन्हे ऐसे ही बड़े कदम और फैसले लेने की आवश्यकता है ताकि जेलें भी कोरोना से पूरी तरह से लड़ सके और उस पर विजय पा सके। में आशा करती हूं कि तिनका तिनका आगे भी हमे ऐसे ही जेलों के अंशों से रूह – बरू कराता रहेगा।
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very good initiative started by maharastra and glad to know other state goverment are also following it ….and all credit goes to team tinka tinka who tells us about the presioners life and the difficulty they face
Tinka Tinka has been constantly working towards prison reforms and in since last few years they have really managed to bring a lot of stories to the common people. The reforms done by Tinka Tinka is something very less people know about and even very less people have attempted it. The stories about prison inmates from Tinka Tinka book series Tinka Tinka Tihar, Tinka Tinka Dasna and Tinka Tinka Madhya Pradesh has its own feel. #tinkatinka #vartikananda #jail
Maharashtra continues to be India’s worst-affected state by the coronavirus pandemic where the number of cases have crossed the 230,000-mark and the death toll stands at 9,667. The number of Covid-19 cases across Maharashtra’s prisons are nearing 800 and the death toll stands at four. Meanwhile, 281 inmates and 93 prison staff have recovered till now.
The first set of cases in Maharashtra’s prisons was reported at the Arthur Road Jail in Mumbai. The release of half of the prisoner lodged in the state’s jails, on temporary bail and emergency parole. Around 7,000 of a targeted 17,000-plus prisoners had been released. Another order was for the release of all undertrials, relaxing the earlier category of those facing up to seven years imprisonment, but with exceptions including those charged with murder, rape, kidnapping, bank frauds, major financial scams, money-laundering, anti-terror laws, child sexual abuse as well as all foreign nationals. It also said inmates who reside outside the state can be released only after the lockdown period is over and public transportation is available.
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